मसूड़ों की बीमारी:- हमारे शरीर की संपूर्ण सेहत हमारे मुंह की सेहत पर भी निर्भर करती है। दांत और मसूड़े न सिर्फ भोजन चबाने में मदद करते हैं, बल्कि आपकी मुस्कान को भी आकर्षक बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में हर तीसरे व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार की मसूड़ों की समस्या होती है?
मसूड़ों की बीमारी (Gum Disease) एक आम लेकिन गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज करने पर दांतों का गिरना तक हो सकता है। आज इस लेख में हम जानेंगे कि मसूड़ों की बीमारी के लक्षण क्या होते हैं, इसे कैसे रोका जाए, और इसका इलाज कैसे किया जाता है।
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मसूड़ों की बीमारी क्या है?
मसूड़ों की बीमारी को चिकित्सा भाषा में Periodontal Disease कहा जाता है। इसकी शुरुआत आमतौर पर हल्की सूजन (Gingivitis) से होती है, जिसमें मसूड़े लाल और संवेदनशील हो जाते हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थिति गंभीर रूप (Periodontitis) ले लेती है, जिससे दांत और मसूड़ों के बीच की हड्डी भी प्रभावित होती है।
मसूड़ों की बीमारी के मुख्य लक्षण
- मसूड़ों में सूजन और लालिमा
- ब्रश या फ्लॉस करते समय खून आना
- सांस की दुर्गंध (Bad Breath)
- मसूड़ों का सिकुड़ना या पीछे हटना
- दांतों का हिलना या ढीला होना
- दांतों और मसूड़ों के बीच गैप बनना
- चबाने में दर्द या असहजता
इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डेंटिस्ट से संपर्क करें।
मसूड़ों की बीमारी के कारण
- गलत ब्रशिंग टेकनीक: दिन में दो बार ब्रश न करना या गलत तरीके से करना
- फ्लॉसिंग की कमी: दांतों के बीच की गंदगी जम जाती है
- तंबाकू या गुटखा सेवन: मसूड़ों को नुकसान पहुंचाता है
- हार्मोनल बदलाव: खासकर महिलाओं में पीरियड्स, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज के समय
- शुगर और डायबिटीज: ब्लड शुगर के कारण इन्फेक्शन की संभावना बढ़ जाती है
- दवाइयों के साइड इफेक्ट्स: कुछ दवाएं मुंह सूखने का कारण बनती हैं, जिससे बैक्टीरिया पनपते हैं
रोकथाम के तरीके
- सही ब्रशिंग और फ्लॉसिंग: दिन में दो बार ब्रश करें और कम से कम एक बार फ्लॉस करें।
- माउथवॉश का प्रयोग: एंटीसेप्टिक माउथवॉश से मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करें।
- संतुलित आहार: हरी सब्जियाँ, फल और पानी का सेवन बढ़ाएं।
- तंबाकू से परहेज: स्मोकिंग और गुटखा पूरी तरह छोड़ें।
- नियमित डेंटल चेकअप: हर 6 महीने में एक बार डेंटिस्ट से मिलें।
इलाज के तरीके
- स्केलिंग और रूट प्लानिंग: मसूड़ों के नीचे जमी गंदगी और प्लाक को हटाया जाता है।
- एंटीबायोटिक थेरेपी: संक्रमण को खत्म करने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं।
- लेज़र ट्रीटमेंट: नई तकनीक जिसमें दर्द कम होता है और जल्दी ठीक होता है।
- सर्जरी (यदि ज़रूरी हो): गंभीर मामलों में गम ग्राफ्टिंग या फ्लैप सर्जरी की जाती है।
इलाज का चुनाव बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देने से सर्जरी की नौबत नहीं आती।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. मसूड़ों से खून आने पर क्या करें?
यदि ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आ रहा है तो यह सूजन या इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है। तुरंत माइल्ड ब्रश यूज़ करें और डेंटिस्ट से मिलें।
2. क्या मसूड़ों की बीमारी का इलाज घर पर संभव है?
शुरुआती अवस्था (Gingivitis) में घरेलू उपाय जैसे नमक वाले गुनगुने पानी से कुल्ला करना मददगार हो सकता है, लेकिन सही इलाज के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
3. मसूड़ों की बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है?
अगर समय पर इलाज न हो तो यह दांतों का गिरना, जबड़े की हड्डी का नुकसान और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हार्ट डिज़ीज़ तक का कारण बन सकती है।
4. क्या यह बीमारी बच्चों में भी हो सकती है?
हाँ, अगर बच्चे ब्रश और फ्लॉस सही तरीके से नहीं करते हैं या ज्यादा मीठा खाते हैं तो उन्हें भी मसूड़ों की समस्या हो सकती है।
5. डेंटल इंश्योरेंस में मसूड़ों की बीमारी का इलाज कवर होता है क्या?
अधिकतर इंश्योरेंस योजनाओं में बेसिक डेंटल केयर और स्केलिंग शामिल होती है, लेकिन हर पॉलिसी अलग होती है, इसलिए जांच अवश्य करें।