फेफड़ों के कैंसर के इलाज में सर्जरी का महत्व

फेफड़ों के कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो वैश्विक स्तर पर लाखों व्यक्तियों को प्रभावित करती है। यह बीमारी तब विकसित होती है जब फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, जिससे ट्यूमर का निर्माण होता है। फेफड़ों के कैंसर का उपचार विभिन्न विधियों से किया जा सकता है, जिसमें कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, लक्षित चिकित्सा और सर्जरी शामिल हैं।

इनमें से सर्जरी की भूमिका खासतौर पर महत्वपूर्ण होती है, विशेष रूप से जब कैंसर प्रारंभिक चरण में पहचान की जाती है। इस लेख में, हम फेफड़ों के कैंसर के उपचार में सर्जरी के महत्व, प्रक्रिया, लाभ और संभावित जोखिमों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

फेफड़ों के कैंसर का परिचय

फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर रोग है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसका मुख्य कारण धूम्रपान, वायु प्रदूषण, और अन्य हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आना है। फेफड़ों के कैंसर के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: छोटे सेल फेफड़ों का कैंसर (Small Cell Lung Cancer) और नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों का कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer)। इनमें से नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों का कैंसर अधिक आम है, और इसके उपचार के लिए सर्जरी अक्सर एक प्रभावी विकल्प हो सकता है।

सर्जरी क्यों महत्वपूर्ण है

सर्जरी फेफड़ों के कैंसर के इलाज में एक प्रमुख भूमिका निभाती है, खासकर तब जब कैंसर प्रारंभिक अवस्था में हो और शरीर के अन्य हिस्सों में न फैला हो। सर्जरी का मुख्य उद्देश्य कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाना है ताकि कैंसर को फैलने से रोका जा सके और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके।

सर्जरी के प्रकार

फेफड़ों के कैंसर के इलाज में कई प्रकार की सर्जरी की जाती है, जो कैंसर के स्थान, आकार और रोगी की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। कुछ प्रमुख सर्जिकल प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं:

1 लोबेक्टोमी (Lobectomy)

लोबेक्टोमी एक ऐसी शल्य क्रिया है जिसमें फेफड़े के एक लोब को निकाला जाता है। यह प्रक्रिया सबसे सामान्य होती है और अक्सर तब की जाती है जब कैंसर केवल एक ही लोब तक सीमित होता है।

2 प्न्यूमोनेक्टोमी (Pneumonectomy)

प्न्यूमोनेक्टोमी में पूरे फेफड़े को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब कैंसर फेफड़े के एक बड़े हिस्से में फैल गया हो।

3 सेगमेंटेक्टोमी (Segmentectomy)

सेगमेंटेक्टोमी में फेफड़े के एक छोटे से हिस्से को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया उन रोगियों के लिए उपयुक्त है जिनका कैंसर प्रारंभिक अवस्था में हो और जिनके फेफड़े की कार्यक्षमता सीमित हो।

4 वेज रेसेक्शन (Wedge Resection)

वेज रेसेक्शन में कैंसरग्रस्त ऊतक के एक छोटे टुकड़े को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर उन रोगियों के लिए की जाती है जिनका कैंसर बहुत छोटा हो और जिनकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति सर्जरी के लिए अनुकूल न हो।

सर्जरी से पहले की तैयारी

सर्जरी से पहले रोगी को कई जांचों से गुजरना पड़ता है, जैसे कि ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, सीटी स्कैन, और पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट। इन जांचों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रोगी सर्जरी के लिए तैयार है और उसके फेफड़े की कार्यक्षमता सर्जरी के बाद भी पर्याप्त होगी। सर्जरी से पहले रोगी को धूम्रपान छोड़ने की सलाह दी जाती है और उसकी आहार और दवाओं में भी बदलाव किया जा सकता है।

सर्जरी के दौरान की प्रक्रिया

सर्जरी के दौरान रोगी को सामान्य एनेस्थीसिया या स्थानीय एनेस्थीसिया प्रदान किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, सर्जन छाती में एक incision करते हुए कैंसर से ग्रसित ऊतकों को निकालते हैं। कुछ परिस्थितियों में, न्यूनतम आक्रमण वाली तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे वीडियो-सहायता प्राप्त थोरैकोस्कोपिक सर्जरी (VATS), जिसमें छोटे चीरे लगाकर सर्जरी की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप रिकवरी का समय भी कम हो जाता है।

सर्जरी के बाद की देखभाल

सर्जरी के बाद रोगी को कुछ दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। इस दौरान उसकी निगरानी की जाती है ताकि किसी भी तरह की जटिलता का पता लगाया जा सके। रोगी को दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं और उसे फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए श्वास संबंधी व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। सर्जरी के बाद रोगी को नियमित फॉलो-अप की आवश्यकता होती है ताकि कैंसर के पुनरावृत्ति की संभावना को कम किया जा सके।

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सर्जरी के फायदे

फेफड़ों के कैंसर के इलाज में सर्जरी के कई फायदे हैं:

  • कैंसर को पूरी तरह से हटाना: सर्जरी के जरिए कैंसरग्रस्त ऊतक को पूरी तरह से हटाया जा सकता है, जिससे कैंसर के फैलने की संभावना कम हो जाती है।
  • जीवन प्रत्याशा में वृद्धि: प्रारंभिक अवस्था में सर्जरी कराने से रोगी की जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हो सकती है।
  • लक्षणों में सुधार: सर्जरी के बाद रोगी के लक्षणों में सुधार हो सकता है, जैसे कि सांस लेने में आसानी और दर्द में कमी।

सर्जरी के जोखिम

हालांकि सर्जरी फेफड़ों के कैंसर के इलाज में बहुत प्रभावी है, लेकिन इसके कुछ जोखिम भी हैं:

  • संक्रमण: सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा हो सकता है।
  • रक्तस्राव: सर्जरी के दौरान या बाद में रक्तस्राव हो सकता है।
  • फेफड़े की कार्यक्षमता में कमी: सर्जरी के बाद फेफड़े की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है, खासकर यदि फेफड़े का एक बड़ा हिस्सा हटाया गया हो।
  • कैंसर का पुनरावृत्ति: सर्जरी के बाद भी कैंसर के पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. फेफड़ों के कैंसर के लिए सर्जरी कब की जाती है?

सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब कैंसर प्रारंभिक अवस्था में हो और शरीर के अन्य हिस्सों में न फैला हो। यह नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर के लिए अधिक प्रभावी है।

Q2. सर्जरी के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है?

सर्जरी के बाद रिकवरी का समय रोगी की सामान्य स्वास्थ्य स्थिति और सर्जरी के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर, रोगी को कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक रिकवरी की आवश्यकता हो सकती है।

Q3. क्या सर्जरी के बाद कैंसर वापस आ सकता है?

हां, सर्जरी के बाद भी कैंसर के पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहती है। इसलिए, रोगी को नियमित फॉलो-अप और जांच की आवश्यकता होती है।

Q4. क्या सर्जरी के बाद धूम्रपान करना सुरक्षित है?

नहीं, सर्जरी के बाद धूम्रपान करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। धूम्रपान करने से कैंसर के पुनरावृत्ति का खतरा बढ़ जाता है और फेफड़े की कार्यक्षमता और भी कम हो सकती है।

Q5. क्या सर्जरी के बाद सामान्य जीवन जीना संभव है?

हां, सर्जरी के बाद अधिकांश रोगी सामान्य जीवन जी सकते हैं, खासकर यदि कैंसर प्रारंभिक अवस्था में पकड़ा गया हो और सर्जरी सफल रही हो। हालांकि, रोगी को नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता होती है।

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